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अगर कभी वक्त मिले तो, मुस्कराहट के पीछे आंसू पहचान

अगर कभी वक्त मिले तो,
मुस्कराहट के पीछे आंसू पहचान जाना,
देकर झांसा खुशियों का,
रात भर के लिए मेरे ग़म तो चुनवाते जाना,
अ-बुर्दबार हुए हैं हम आज,
ज़ख्मों पर सेहा अपने प्यार लगाते जाना,
टूटे हैं हम ज़र्रा ज़र्रा अब तो,
ज़ज्ब ए उल्फ़त का यकीन करवाते जाना,
रकीबों का सलूक देख हैरां नहीं,
शिक़ायत राह ए उल्फ़त बतलाते जाना। पेश है, एक ख़ूबसूरत #collab Aesthetic Thoughts द्वारा।
#अगरवक़्तमिले #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#रोज़ी_संबरीया
अगर कभी वक्त मिले तो,
मुस्कराहट के पीछे आंसू पहचान जाना,
देकर झांसा खुशियों का,
रात भर के लिए मेरे ग़म तो चुनवाते जाना,
अ-बुर्दबार हुए हैं हम आज,
ज़ख्मों पर सेहा अपने प्यार लगाते जाना,
टूटे हैं हम ज़र्रा ज़र्रा अब तो,
ज़ज्ब ए उल्फ़त का यकीन करवाते जाना,
रकीबों का सलूक देख हैरां नहीं,
शिक़ायत राह ए उल्फ़त बतलाते जाना। पेश है, एक ख़ूबसूरत #collab Aesthetic Thoughts द्वारा।
#अगरवक़्तमिले #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#रोज़ी_संबरीया
mrsrosysumbriade8729

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