अगर कभी वक्त मिले तो, मुस्कराहट के पीछे आंसू पहचान जाना, देकर झांसा खुशियों का, रात भर के लिए मेरे ग़म तो चुनवाते जाना, अ-बुर्दबार हुए हैं हम आज, ज़ख्मों पर सेहा अपने प्यार लगाते जाना, टूटे हैं हम ज़र्रा ज़र्रा अब तो, ज़ज्ब ए उल्फ़त का यकीन करवाते जाना, रकीबों का सलूक देख हैरां नहीं, शिक़ायत राह ए उल्फ़त बतलाते जाना। पेश है, एक ख़ूबसूरत #collab Aesthetic Thoughts द्वारा। #अगरवक़्तमिले #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रोज़ी_संबरीया