इक वादे की ख़ातिर ये वादा तोड़ना पड़ा महज एक फूल की ख़ातिर खियाबां छोड़ना पड़ा दो दिल मिला कर के इक दिल बनाया था मस्लन हमे फिर यार आधा तोड़ना पड़ा.... वैसे उसकी मुहब्बत पर हक ज्यादा था मेरा हक ज्यादा मिलना था ज्यादा छोड़ना पड़ा.... उस से बिछड़ कर भी वो कसमें थी इरादे थे खुदा की मर्जी थी भले इरादा छोड़ना पड़ा.... हर शख़्स जमाने में बहुत कुछ छोड़ ही देता है हमको यहां बोबिन बे-हिसाबा छोड़ना पड़ा.... #बोबिन wada todna pada... meri shayari