भौतिकवाद ने जीवन को स्वच्छन्दता दी है। तकनीक ने जीवन की गति बढ़ा दी है। एक गलती करने के बाद पांव फिसल जाता है। लौटकर सीधे खड़े हो पाना कठिन होता है। समाज में संस्कार लुप्त ही हो गए । दकियानूसी बन गए। परिवर्तन जो भी हो रहा है, बहुत तेज हो रहा है। किन्तु एक पक्षीय हो रहा है। भोग संस्कृति ने आदमी, विशेषकर औरत को भोग की वस्तु बना दिया है। #Repost #इंसान #बनाओ #माँ #पंछी #पाठक #हरे कृष्ण सत्ता के चारों ओर बस धन, माफिया,भोग,हत्या ही बचे हैं। जीवन शरीर पर आकर ठहर गया है। दर्शन पुस्तकों में, कर्म और कर्म-फल गीता में तथा