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दिये जलायें ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, भारत की संप्रभुता

दिये जलायें
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भारत की संप्रभुता में मिल
छोटा सा अभियान चलायें
आलो मिलकर दिये जलायें
अंधकार ये फैला देखो
अपने घर में तुम भी बैठो
विश्व महामारी को मिलकर
घर में रक्षित होकर फेंको
विश्व पताका फहरे अपनी
एक प्रकाश की ज्योत दिखायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,
ये स्पर्श बिमारी दुश्कर
मत उलझो तुम इसमें फंसकर
कुंठित भाव निकालो मन से
मिट सकते हो इसमें लुटकर
मानवता के लिये चलो अब
आज एकतासंघ बनायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,
आपस का विद्वेष त्यागकर
मुरछा सेे अब उठो जागकर
बन निर्भीक स्फूर्ति अपनाओ
रखो हाथ में दिये जलाकर
भय दुविधा की दुस्तरता से
सबको अवगत आज करायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,,
देश प्रेम की अलख यही है
यही एकता पुंज घडी़ है
भारत मांता वरद् हस्त से
आशिष देने आज खड़ी है
मां के चरणों में झुककरके
एक शूत्र की राग सुनायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,
आलोकजी शास्त्री इन्दौर 9425069983
दिये जलायें
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भारत की संप्रभुता में मिल
छोटा सा अभियान चलायें
आलो मिलकर दिये जलायें
अंधकार ये फैला देखो
अपने घर में तुम भी बैठो
विश्व महामारी को मिलकर
घर में रक्षित होकर फेंको
विश्व पताका फहरे अपनी
एक प्रकाश की ज्योत दिखायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,
ये स्पर्श बिमारी दुश्कर
मत उलझो तुम इसमें फंसकर
कुंठित भाव निकालो मन से
मिट सकते हो इसमें लुटकर
मानवता के लिये चलो अब
आज एकतासंघ बनायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,
आपस का विद्वेष त्यागकर
मुरछा सेे अब उठो जागकर
बन निर्भीक स्फूर्ति अपनाओ
रखो हाथ में दिये जलाकर
भय दुविधा की दुस्तरता से
सबको अवगत आज करायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,,,
देश प्रेम की अलख यही है
यही एकता पुंज घडी़ है
भारत मांता वरद् हस्त से
आशिष देने आज खड़ी है
मां के चरणों में झुककरके
एक शूत्र की राग सुनायें
आओ मिलकर दिये जलायें,,,,
आलोकजी शास्त्री इन्दौर 9425069983