#IndiaFightsCorona चिताओं में जलती हुई लाशें, कब्रों के अंदर दफनाई हुई लाशें, नदी के पानी में तैरती हुई लाशें., और अस्पतालों में पड़ी हुई लाशें, ढेरों के ढेर, और बिखरी हुई लाशें.. मानव ने नोचा है, इस धरा को गिद्ध बनकर, छिन्न-भिन्न करके रख दिया इसे., इसलिए यह कराह रही है दर्द से, छटपटा रही है, रो रही है अनवरत.. मानव ने मूल्य समझा ही कहाँ? हवा का, पानी का, प्रकृति का., मुफ़्त में जो मिली है, ये सब चीजें.. मर चुकी है शायद, मानव में मानवता., रह गई बस, चलती-फिरती हुई लाशें.. ©Balram Bathra #IndiaFightsCorona #sadrealityoftodaysworld