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खफा है कुछ रिश्तें मुझसे मै सारे यार मना लूंगा , इ

खफा है कुछ रिश्तें मुझसे मै सारे यार मना लूंगा ,
इंतेज़ार है वक्त के माकूल होने का मै रूठा प्यार मना लूंगा |
अभी कर लेता हूं तसल्ली उड़ती हुई पतंगों को देख कर ..........
करूंगा दीदार मंजिल का मेरी उस रोज मै सारे त्यौहार मना लूंगा ||

©'  मुसाफ़िर ' #makarsakranti #Shayari #Quote
खफा है कुछ रिश्तें मुझसे मै सारे यार मना लूंगा ,
इंतेज़ार है वक्त के माकूल होने का मै रूठा प्यार मना लूंगा |
अभी कर लेता हूं तसल्ली उड़ती हुई पतंगों को देख कर ..........
करूंगा दीदार मंजिल का मेरी उस रोज मै सारे त्यौहार मना लूंगा ||

©'  मुसाफ़िर ' #makarsakranti #Shayari #Quote