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थोड़े ना समझ थोड़े नादान ही तो हैं खुशियों को ढूँढ

थोड़े ना समझ थोड़े नादान ही तो हैं
खुशियों को ढूँढने में गुमनाम ही तो है
तुम कौन हो? पूछकर अंजान बना दिया
दो पल की खुशी ने मेहमान बना दिया खुशियाँ
थोड़े ना समझ थोड़े नादान ही तो हैं
खुशियों को ढूँढने में गुमनाम ही तो है
तुम कौन हो? पूछकर अंजान बना दिया
दो पल की खुशी ने मेहमान बना दिया खुशियाँ