जाने कितने मोक्ष मिले हैं पाकर इन चरणों की धूल तेरा जो दर खोज लिया है होगी न अब हमसे भूल हे पुरुषोत्तम रखना हर दम सेवक पर अपना आशीष तुझ पर बलिहारी जाऊँ मैं और झुकाऊँ अपना शीश तेरा ही गुणगान करूँ मैं फूल चढ़ाऊँ सुबहो शाम रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम ©कवि मनोज कुमार मंजू #Ramnavami #नमामि_राम #रामनवमी #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू