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तुमसा कोई नहीं, यूँ हसीनो-ज़मील यूँ जाज़िब-नज़र और पु

तुमसा कोई नहीं, यूँ हसीनो-ज़मील
यूँ जाज़िब-नज़र और पुर-कशिश कोई
ऐसा तर्जे-अमल, कि फिदा हों सभी
ऐऩ मतवाली हैं और मुनफरिद भी
ऐसी तर्जे-तहरीर कि दिले 'फैज़ान' कहे
बे-नज़ीर, बे-नज़ीर, बे-नज़ीर, बे-नज़ीर #Shayari #Poem 
#BeNazeer
तुमसा कोई नहीं, यूँ हसीनो-ज़मील
यूँ जाज़िब-नज़र और पुर-कशिश कोई
ऐसा तर्जे-अमल, कि फिदा हों सभी
ऐऩ मतवाली हैं और मुनफरिद भी
ऐसी तर्जे-तहरीर कि दिले 'फैज़ान' कहे
बे-नज़ीर, बे-नज़ीर, बे-नज़ीर, बे-नज़ीर #Shayari #Poem 
#BeNazeer