मेरे जाने पर रोती जगाने से सोती जब खाऊं मैं खाना मुझे रोटी वो देती उसकी पायल की छम-छम मेरे कानो मे होती मैं ढूँढू वो खोती, काश ये सारी बातें सच होती और मेरी भी एक, "बेटी होती ! वो रूढ़ती मैं मनाता उसकी हंसी से "ख़ुशी चुराता उसकी चंचल शरारत सभी को बताता जो करती वो गलती उसे समझता क्या सही क्या गलत उसे बता देताऔर नहीं समझती , तो कान के नीचे धीरे से लगा देता वो बातें बनाती किसी और का खिलौना अपना बताती चश्मा पहन दादी का वो नानी बन जाती उसकी ये चंचल शरारत रोज-रोज दोहराई जाती बस कर,मान जा, रहने दे बुलाऊ तेरे बाप को वो मेरे नाम से धमकाई जाती और आखिरी पंक्तिया निवेदन करता हूं मैं उसकी दुनियां वो मेरा संसार होती पूरी उम्र का साथ किसने निभाया है बस आखिरी वक्त मेरे पास होती अरविन्द यादव 🌿25/12/2019 ©ARVIND YADAV 1717 #arvind yadav #Nojoto #poyetry #poem #poyetryonline #poyetor