जब रात काली छाई थी हुंकार फिर उसने लगाई थी आज़ाद जिया हु आज़ाद मरूंगा कहकर उसने अंग्रेज़ों को ललकारा आजादी का चंद्र बना वो आजादी का मतवाला चंद्र शेखर आज़ाद जी 27/02/1931 नमन 1931/02/27 #nojoto