ज़ख्मों के बे - लिबासी की बेबसी को आशिक़ी कहना इक गुनाह है , इश्क़ तो तब मुकम्मल है जब.........!! ©Anjali Rai Read in caption ....!! ...........🍁🍁🍁........... ज़ख्मों के बे - लिबासी की बेबसी को आशिक़ी कहना इक गुनाह है इश्क़ तो तब मुकम्मल है जब पाक जज़्बों की बारिशों से सनम की रूह भीग जाए...!! आधी इबादत करके चाहते हो कि सारा जहां मिल जाए, और तो और ख़ुदा भी मिल जाए...!