क्यां हुआ हैं आशिक़ी का असर मत पूछो... मैं लापता हुआ मेरी ख़बर मत पूछो..। मैं तो चलता ही गया जानिब-ए-मंज़िल... क्यां हुआ और कैसा था सफ़र मत पूछो..। क़लम उठाई तो काग़ज कांपते रह गये... ज़ज़्बात उफान पर हैं कि, बहर मत पूछो..। लोग तो पागल है तलवारें लाए थे... और फिर उसने उठाई नज़र मत पूछो..। मैं हो गया हूँ मशहूर उसके शहर में... क्यां खू़ब की हैं किसी ने क़दर मत पूछो..। ख़ब्तुल(असर)