तन्हाई बोलती है पर कोई सुने ना यहां बना लेती फिर कलम को जुबा में यहां सुकून मिले कोरे पन्नों में जब लिखती हूं साथ तेरा ©Babita Singh बोलना जानती है फिर भी मौन रहना है कोई समझेगा या नहीं इस बात का डर लगता है ज्यादा बोलूं तो कोई परेशान ना हो मुझसे इसलिए तन्हाई से दोस्ती करना पसंद करता हूं मैं यहां ✍️🙏🫂