इश्क़ से पहले मैं कुछ इस तरह से बसर कर रहा था तेरे इश्क़ से पहले, खुद को इक टुटता शजर कर रहा था तेरे इश्क़ से पहले, दुरियाँ दरमियाँ की मुक्कमल कर ना सका तो क्या हुआ, इश्क़ फिर भी तुझपे असर कर रहा था तेरे इश्क़ से पहले!! इश्क़ के बाद कोई पूछे तो ज़रा क्या हाल हुआ है तेरे इश्क़ के बाद, मेरा जीना ही तो इक सवाल हुआ है तेरे इश्क़ के बाद, मैं भूख, प्यास, दौलत, दुनिया, सब कुछ भुला चुका हूँ, हाँ, तेरे इश्क़ में ही ये कमाल हुआ है तेरे इश्क़ के बाद!! शजर : पेड़, वृक्ष Challenge-165 #collabwithकोराकाग़ज़ आज फिर आपको दो विषय दिए जा रहे हैं कोलाब करने के लिए। तो बताइए समूह को कि इश्क़ से पहले और इश्क़ के बाद क्या होता है। दोनों विषय एक लेखक भी लिख सकता है या फिर एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित कर सकता है।