है अनेकों रंग इन्शा का इस जहां में शब्दों से ज़्यादा रूप बदलने में लगे फितरत है सबकी चालाकी से भरी दूसरों की नियत उनको सही न लगी बने है सब सही और गलत के ठेकेदार और कर दिया कितनो को दरकिनार आज की ये दुनिया है नफरत सी भरी हर इन्शा को सिर्फ अपनी है पड़ि शब्दों के न है कोई अब मायनें अब अपने ही हैं धोखा देने को खड़े... #world #social #alone