दिल से उसकी याद भुलाने, जब मयखाने को बढ़ाए कदम। साक़ी ने यूँ नज़रों से पिला दी, कि खुद को रोक न पाए हम। खुद को रोक न पाए हम, जब उसने दी चाहत की कसम। यादों को करके गुलज़ार, उसे फिर दिल में बसा लाए हम। दिल से उसकी याद भुलाने, मयखाने को बढ़ाए कदम। साक़ी ने यूँ नज़रों से पिला दी, खुद को रोक न पाए हम। खुद को रोक न पाए हम, जब उसने दी चाहत की कसम। यादों को करके गुलज़ार, उसे फिर दिल में बसा लाए हम। #साक़ी (पिलाने वाला) #collabwithकोराकाग़ज़