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जज्बात से हर बात यूँ ,बोले नही जाते । इतनी शरद मे

जज्बात से हर बात यूँ ,बोले नही जाते ।

इतनी शरद में खिड़कियां ,खोले नही जाते ।

गर इंतजार में कपाट ,खोलते अगर ।

उस चांदनी रात में हम ,छले नही जाते ।

कवि अतुल सिंह माधुर्य 

फतेहपुर ,बाराबंकी 

6388694528

 कवि अतुल सिंह माधुर्य 
फतेहपुर ,बाराबंकी 
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जज्बात से हर बात यूँ ,बोले नही जाते ।

इतनी शरद में खिड़कियां ,खोले नही जाते ।

गर इंतजार में कपाट ,खोलते अगर ।

उस चांदनी रात में हम ,छले नही जाते ।

कवि अतुल सिंह माधुर्य 

फतेहपुर ,बाराबंकी 

6388694528

 कवि अतुल सिंह माधुर्य 
फतेहपुर ,बाराबंकी 
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atulsingh6774

Atul Singh

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