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धर्म के रंग से खून का रंग फीका है, तंत्र का कोई मो

धर्म के रंग से खून का रंग फीका है,
तंत्र का कोई मोल नहीं यहाँ हर कोई बिका है,तपती धुप मैं तप कर कृषक कृष कर्म करता है,
पेट सभी का वो भरता है,
पर खुद दो वक़्त की रोटी को तरसता है ,
कभी तंत्र पर तोह कभी मार्तण्ड पर वह बरसता है ,
जब हर प्रयास कर वह थक जाता है ,
तभी आखरी कदम वह उठताह है,थक हार कर वह दुनिया को छोड़ जाता है #farmer #respect #avikikavishala
धर्म के रंग से खून का रंग फीका है,
तंत्र का कोई मोल नहीं यहाँ हर कोई बिका है,तपती धुप मैं तप कर कृषक कृष कर्म करता है,
पेट सभी का वो भरता है,
पर खुद दो वक़्त की रोटी को तरसता है ,
कभी तंत्र पर तोह कभी मार्तण्ड पर वह बरसता है ,
जब हर प्रयास कर वह थक जाता है ,
तभी आखरी कदम वह उठताह है,थक हार कर वह दुनिया को छोड़ जाता है #farmer #respect #avikikavishala