लहलहाती फसल किसान के मेहनत का फल अन्नदाता करते सेवा टहल चाहे रहो झोपड़ी में या महल अन्न के वगैर संभव नहीं बल जठराग्नि शाँति का यही जल साधारण वेशभूषा धरे किसान अल्पता में काटते अपना जीवन उचित दाम न मिलना है कारण जीवनदायिनी देते हमें सामान तहेदिल से इनका हम करें सम्मान शास्त्री जी का नारे का हो ध्यान जय जवान जय किसान जय हिंद ! # किसान का सम्मान खिचड़ी।