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आज डूब गई मेरी तमाम हसरतें उसकी आंखों में जब उसे ज

आज डूब गई मेरी तमाम हसरतें उसकी आंखों में
जब उसे ज़िम्मेदारियों का झोला उठाते देखा 

सहम गई मेरी तमाम ऊंची ख्वाहिशें 
जब उसे खाना ज़मीन से उठाते देखा 

एक नज़र उस पर पड़ते ही में अपनी नजरों में गिरी थी
क्यों की किसी की ज़रूरत थी वो तमाम 
चीजें जो मेने बेवजह फेंकी थी

उसके कांपते हाथों ने, सर्दियों को भी झकझोर दिया था 
क्यों की सितम कुछ कम इसने भी नहीं किए थे 

 किसी का बचा खाना उसकी पहली ख्वाहिश रही शायद
वो नजर जो उसे देख चमक गई थी 

कुछ उम्मीदी लिए , वो उस खाने की तरफ बढ़ा ही था
की उसकी नजर पास खड़े कुत्ते पर गई बांट लिया आधा आधा

वहीं पास खड़ी अमीरी में मुझे फकीरी 
ओर उसकी फकीरी में भी अमीरी दिखी फकीरी
आज डूब गई मेरी तमाम हसरतें उसकी आंखों में
जब उसे ज़िम्मेदारियों का झोला उठाते देखा 

सहम गई मेरी तमाम ऊंची ख्वाहिशें 
जब उसे खाना ज़मीन से उठाते देखा 

एक नज़र उस पर पड़ते ही में अपनी नजरों में गिरी थी
क्यों की किसी की ज़रूरत थी वो तमाम 
चीजें जो मेने बेवजह फेंकी थी

उसके कांपते हाथों ने, सर्दियों को भी झकझोर दिया था 
क्यों की सितम कुछ कम इसने भी नहीं किए थे 

 किसी का बचा खाना उसकी पहली ख्वाहिश रही शायद
वो नजर जो उसे देख चमक गई थी 

कुछ उम्मीदी लिए , वो उस खाने की तरफ बढ़ा ही था
की उसकी नजर पास खड़े कुत्ते पर गई बांट लिया आधा आधा

वहीं पास खड़ी अमीरी में मुझे फकीरी 
ओर उसकी फकीरी में भी अमीरी दिखी फकीरी
shikhadubey8430

Shikha Dubey

New Creator

फकीरी