कलाई पर बंधी ये राखी आज भी, बहन की याद दिलाती हैं बचपन का ओ हर बात पे लड़ना फिर डांट सुन कर एक दूसरे को मनाना कभी उस के खिलौना छुपाना मगर रुलाये जो कभी कोई तो उस से लड़ जाना दूर हो रक्षाबंधन में तो उसकी कमी सताती हैं आये ना आये मगर राखी जरूर भेज देती हैं कलाई पे बंधी ये राखी आज भी बहन का प्यार झलकाती कलाई पे बंधी राखी