#5LinePoetry पल्लव की डायरी कातिल हवाये ज्योति जीवन की बुझा रही है नये नये जहर सांसो में समा कर हमे तड़पा रही है बुज़दिल हो चली सियासत रशूक अपना दिखाकर कब्रो में हमे पहुचा रही है रोशनी बनने की जगह बीमारियों से भय दिखा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #5LinePoetry बीमारियों का भय दिखाकर #5LinePoetry