ग़मगीन बे-मज़ा बड़ी तन्हा उदास है तेरे बग़ैर तो मिरी दुनिया उदास है फैला हुआ है रात की आँखों में सोज़-ए-हिज्र महताब-रुत में चाँद का चेहरा उदास है लो फिर से आ गया है जुदाई का मरहला आँखें हैं नम मिरी तिरा लहजा उदास है बारिश बहा के ले गई तिनकों का आशियाँ भीगे शजर की शाख़ पे चिड़िया उदास है शहज़ादा सो गया है कहानी सुने बग़ैर बचपन के ताक़ में रखी गुड़िया उदास है आँखें मुंडेर पर धरे गुज़री शब-ए-विसाल लिपटा हुआ कलाई से गजरा उदास है सूरज लिपट के झील के पानी से रो दिया मंज़र फ़िराक़-ए-शाम का कितना उदास है किस को हैं रास हिज्र की कठिनाईयाँ "इमरान" जितना क़रीब हो कोई उतना उदास है ©SaYeD ImRaN #ग़मगीन #बे-#मज़ा#बड़ी #तन्हा #उदास #है