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क्या खोया क्या पाया,हमें नहीं ये जीवन सुहाया..! द

 क्या खोया क्या पाया,हमें नहीं ये जीवन सुहाया..!
दौलत के पीछे रहे सभी,हमने केवल कर्म कमाया..!

हर किरदार रहकर वफ़ादार,हमने बख़ूबी निभाया..!
अच्छे सच्चे बन कर भी,अपनों से धोखा खाया..!

शहद बता कर ज़माने ने,ज़हर का घूँट पिलाया..!
अपनों की ख़ातिर हाज़िर रहे,ख़ून पसीना बहाया..!

जीवन रहा संकट में सदा,दुःख का दरिया गहराया..!
सौ नेकी को भूल गए,एक गलती का दोषी ठहराया..!

मौत के बाद न जन्मे,किसी की भी यादों में हम..!
क्या अपने क्या पराये,हर किसी ने हमें भुलाया..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #raindrops #kyakhoyakyapaaya