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जमीं जमीं हैं गुंजता,गगन गगन है गुंजता है नाद वंदे

जमीं जमीं हैं गुंजता,गगन गगन है गुंजता
है नाद वंदे मातरम
है राग बंदे मातरम
जीवन के सभी रंग मे,उमंग मे तरंग मे
सदैव बंदे मातरम,
है रक्त बन के दौड़ता,है स्वांस बनके दौड़ता
फड़क फड़क भुजाओं मे
सदैव बंदे मातरम 
उच्चारता है शब्द शब्द 
राग वंदे मातरम ,विराग बंदे मातरम
 माँ भारती का छंद ये,हैं विरता का बंद ये
सिहं की दहाड़ ये,है गर्जना का गान ये
धधक धधक सा ज्वार ये,लहक लहक सी आग ये
समर मे काल रूप ये,धरा पे रौद्ररूप रप ये
अरि पे है ये क्रंदना,जुबां पे मांँ कि वंदना
हैं शान बंदे मातरम
ईमान बंदे मातरम
है नाद बंदे मातरम
है राग बंदे मातरम्
राजीव मिश्रा"

©samandar Speaks
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