दिन- ब- दिन गुजर रहा तारीखें बदल रही किन्तु... वक्त मानो ठहर सा गया।। गलियां सूनी सी हो गई ना जाने कहाँ गुम हो गई वो बच्चों की किलकरियां... न जाने किस जोगन की नजर लग गई की जग सूनी सी हो गई।। दिन- ब- दिन गुजर रहा तारीखें बदल रही किन्तु... वक्त मानो ठहर सा गया।। वही सूरज की लालिमा हैं वहीं सूरज की अस्ताचल है वहीं मनुष्य भी हैं बस आसमा की धुंध सफा- सा है और हाँ... नदियाँ भी निर्मल हो गई। बस...दिन- ब- दिन गुजर रहा तारीखें बदल रही किन्तु... वक्त मानो ठहर सा गया।। अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो गई देश- दुनियाँ तबाह सी हो गई, दांव पर हैं बच्चों की भविष्य ना जाने कब आयेगी ये वैक्सीन प्रति क्षण मरीजों की संख्या बढ़ रही न जाने कब लगेगी इसपर रोक, दिन- ब- दिन गुजर रहा तारीखें बदल रही किन्तु... वक्त मानो ठहर सा गया।। @shreya_chaturvedi #वक्त