मूर्ति यदि बनानी है तो पत्थर को धैर्य के साथ गढ़ना पड़ेगा। बिगाड़ भी होंगे पुनरावृत्तियां भी होंगी। पत्थर को दृढ़ता दिखानी पड़ेगी। चोट यदि सहन नहीं कर पाया तो बिखर जाएगा। चोट खाकर भी यदि खड़ा रहा टूटा नहीं तब एक दिन मूर्ति बनकर मंदिर में प्रतिष्ठा पा जाएगा। 💕👨 : कार्य के बीच में तरह-तरह की मन में उठने वाली इच्छाएं भटकाव पैदा करती रहती हैं। प्रशिक्षक के इस भटकाव को रोककर प्रशिक्षु के मन में एकाग्रता बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। यह भी सच है कि बिना वर्तमान में स्वयं को प्रतिष्ठित किए व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता। जीवन तो वर्तमान के सिवाय कुछ होता ही नहीं है। इसमें जो छूट गया, सो छूट गया। :😊💐