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जंग लड़ लड़ ज़िंदगी की दुश्वारियों से पत्थर सा हो

जंग लड़ लड़
ज़िंदगी की दुश्वारियों से
पत्थर सा हो गया हूं..
तकलीफ़ देख तुम्हारी
मुस्कुरा देता हूं..
ख़ुद की तरह तुम्हें भी
समझता हूं..
जानता हूं सही हो तुम
पर चाहते हुऐ भी
ना साथ दे पाता हूं.. 
जानती हो तुम...
बुजदिल ना हूं मैं..
तुम्हारे लिए दुनियां से 
भिड़ जाता हूं
पर ना जानें क्यों 
अपनो से हार जाता हूं..
तुम्हारा ये त्याग व्यर्थ न है.. 
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं
पर कह न पाता हूं..
हां.. तुम्हारा गुनहगार हूं मैं... 🌺🌺🌺आज की रचना थोड़ी अजीब है....कुछ सोच कर या किसी विषय पर नही है....कभी कभी मन शांत नही होता कुछ न कुछ हलचल चलती रहती है.......बस इसी हलचल को शब्दों में उतारने की कोशिश की है..
..हो सकता है यूं ही लगे आपको....या शायद कुछ पसंद आए पर कही जोड़िएगा मत🙏🙏🙏🙏
          होता है ना कभी कभी हम जानते हैं कि दूसरा हमे कितनी अहमियत देता है फिर भी खुद को बहलाने या सच न स्वीकार कर पाने के लिए खुद को एक भ्रम में डाले रखते हैं.....और जब भ्रम टूटता है तो दर्द तो होता ही है....बस इसी दर्द और दर्द के असर को लिखने की
जंग लड़ लड़
ज़िंदगी की दुश्वारियों से
पत्थर सा हो गया हूं..
तकलीफ़ देख तुम्हारी
मुस्कुरा देता हूं..
ख़ुद की तरह तुम्हें भी
समझता हूं..
जानता हूं सही हो तुम
पर चाहते हुऐ भी
ना साथ दे पाता हूं.. 
जानती हो तुम...
बुजदिल ना हूं मैं..
तुम्हारे लिए दुनियां से 
भिड़ जाता हूं
पर ना जानें क्यों 
अपनो से हार जाता हूं..
तुम्हारा ये त्याग व्यर्थ न है.. 
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं
पर कह न पाता हूं..
हां.. तुम्हारा गुनहगार हूं मैं... 🌺🌺🌺आज की रचना थोड़ी अजीब है....कुछ सोच कर या किसी विषय पर नही है....कभी कभी मन शांत नही होता कुछ न कुछ हलचल चलती रहती है.......बस इसी हलचल को शब्दों में उतारने की कोशिश की है..
..हो सकता है यूं ही लगे आपको....या शायद कुछ पसंद आए पर कही जोड़िएगा मत🙏🙏🙏🙏
          होता है ना कभी कभी हम जानते हैं कि दूसरा हमे कितनी अहमियत देता है फिर भी खुद को बहलाने या सच न स्वीकार कर पाने के लिए खुद को एक भ्रम में डाले रखते हैं.....और जब भ्रम टूटता है तो दर्द तो होता ही है....बस इसी दर्द और दर्द के असर को लिखने की