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अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फ़ाज़ मेरे दिल के. न कागज न

अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फ़ाज़ मेरे दिल के.
न कागज न किताब के...
याद तेरी जब भी आती है घुट घुट के रोता हूँ 
लफ्ज़ नहीं है सीने में पर प्यार तुझी से करता हूँ, 
तेरी याद में देर रात तक रोता हूँ 
सुबह फिर से मुश्कुराता हुआ चेहरा लेकर निकलता हूं..
 न दर्द किसी को कहता हूँ
 बस ये सोच कर
 फिर खुश हो जाता हूँ की तुम जहाँ भी हो पर खुश तो हो
अगर मुझसे दुर रहकर तुम खुश तो ये दर्द हमे कबुल है तुम जहाँ भी रहो बस खुश रहो..  Hariram Regar Krishna " Samarth " Aman Shakya ѕílєnt Tarun mahur
अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फ़ाज़ मेरे दिल के.
न कागज न किताब के...
याद तेरी जब भी आती है घुट घुट के रोता हूँ 
लफ्ज़ नहीं है सीने में पर प्यार तुझी से करता हूँ, 
तेरी याद में देर रात तक रोता हूँ 
सुबह फिर से मुश्कुराता हुआ चेहरा लेकर निकलता हूं..
 न दर्द किसी को कहता हूँ
 बस ये सोच कर
 फिर खुश हो जाता हूँ की तुम जहाँ भी हो पर खुश तो हो
अगर मुझसे दुर रहकर तुम खुश तो ये दर्द हमे कबुल है तुम जहाँ भी रहो बस खुश रहो..  Hariram Regar Krishna " Samarth " Aman Shakya ѕílєnt Tarun mahur