आज भी कुछ घरों में मन और अंतर्मन दोनों भी व्यर्थ है.. क्योँकि मन की भावनाओं को उनसे कहना.. बहुत बड़ी हमारी समय का व्यर्थ है! उन सभी महिलाओं को समर्पित जिनके घरों में आज भी स्त्रियों को मन की बात कहने की इजाज़त नहीं, क्योंकि उनके घरों में पुरुषों का वर्चस्व जो है!! 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 उन सभी महिलाओ को समर्पित जिनके घरों में.. आज भी स्त्रियों को अपनी मन की बात कहने पर भी.. उनकी जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है! क्योंकि उनके घरों में स्त्री एक चाबी देने वाली खिलौना है!