वो नज़र आ रहें हैं हमें... जनाब कहीं हम जिंदा तो नहीं, साल, महिने, दिन गुज़रे है अभी तो, कहीं उनकी सांस थमी तो नहीं, की वो याद करते हैं क्या हमें..., कभी पुछो जरा उनसे, उनकी महफ़िल में, जनाब.... कहीं किसी की कमी तो नहीं...... ©Kavi कमी तो नहीं.... ऋ