When I opened the window in the morning, like every day, Then it seemed as if my friend's message had come. He was giving complaints as before, even now, When a very light sun came on my face. ©Babita Singh हर दिन की तरह सुबह जब खिड़की खोला ,तो लगा , किसी खास के बुलावे का पैगाम होगा, जो मेरी बातों से , मेरी आँखों से मेरे दिल का हाल समझ जायेगा । पर ऐसा ना हुआ पहले की तरह शिकायत ही मिली , खुदसे की , मुझ जैसा कोई नही , तब चेहरे पर सूरज की किरणों ने बतादी जो होगा दूर से ही उनकी आँखों में चमक और लबो पर हंसी होगी ।। . . . . .