लकड़ी, फाइबर और लोहे की बनी है तेरी जवानी रे चार पहिया, मखमली चादर ओढ़े खड़ी सयानी रे जो औहदा तुझ पर बैठे तू उसकी बनी दिवानी रे बैठे राजा हो या प्रजा सबको एक ही जानी रे घर घर में तू मिल ही जाए करते फिरो मेहमानी रे बच्चा बच्चा जानत है कुर्सी तेरी कहानी रे कुर्सी तेरी कहानी रे। दादी बैठी दादा बैठे बैठे नाना नानी रे तुम्हरे ख़ातिर नेता जी भाषण देत जुबानी रे मिल जाये तू एक बार सब भूल जाये परेशानी रे घर में रहे आम कहे सब ऑफिस खास निशानी रे पूजत जनता पूजत नेता पूजत है सेनानी रे हमने भी क्या खूब बयां की कुर्सी तेरी कहानी रे। ©Ram Pravesh Kumar #कुर्सी_तेरी_कहानी_रे