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मन ,हवा एक कश्ती में सवार, दोनों में हैं दंभ

मन ,हवा एक  कश्ती में  सवार,
दोनों  में  हैं  दंभ अपार।
एक कहे में  मानव  के अंदर ,
दूसरी  कहे  मानव हैं  मुझसे।
पर स्थिरता  नहीं  किसी में,
दोनों  में  हैं चंचलता अपार।

©Sushila Rawat
  #चंचलता 1🤪😜😄🤪

#चंचलता 1🤪😜😄🤪 #कविता

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