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पढ़ता हूँ तो लगती हैं वो शायरी गुलजार की गुनगुनाऊँ

पढ़ता हूँ तो लगती हैं वो शायरी गुलजार की
गुनगुनाऊँ तो लगती है गजल शहरयार की
आँखों मे शोखियाँ है लबों पर तरन्नुम
जरूर कोई नज्म है वो अहमद फराज की @poem@gjl@qoutes
पढ़ता हूँ तो लगती हैं वो शायरी गुलजार की
गुनगुनाऊँ तो लगती है गजल शहरयार की
आँखों मे शोखियाँ है लबों पर तरन्नुम
जरूर कोई नज्म है वो अहमद फराज की @poem@gjl@qoutes

@poem@gjl@qoutes