ये मन है बाबरा , नहीं ये जानता , चला है उस ओर, जहां बंद है रास्ता, रुका न अब अश्क, देखो फिर वो बह चला किस्मत से जंग छेड़, वो आगे बढ़ चला दर्द मान अब दवा, हर सितम वो सह चला उम्मीद की किरण, फिर से दिल में जल रहा नहीं जी सका, ये दिल तेरे बिना, तेरी ओर फिर चला तेरी ओर फिर चला। ©kalpana srivastava #दर्द #girl Ashish sahay