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क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक। हृदय उद

क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक।
हृदय उदासी में था डूबा,देह भी दिखती ना गतिक।।
सब छीन सपने जो गये थे,वो बैठ चुनता दिख रहा।
अब मौन क्यों वो गौण दिखता,क्या भाग्य लेखा लिख रहा।।

©Bharat Bhushan pathak क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक।
हृदय उदासी में था डूबा,देह भी दिखती ना गतिक।।
सब छीन सपने जो गये थे,वो बैठ चुनता दिख रहा।
अब मौन क्यों वो गौण दिखता,क्या भाग्य लेखा लिख रहा।।
क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक।
हृदय उदासी में था डूबा,देह भी दिखती ना गतिक।।
सब छीन सपने जो गये थे,वो बैठ चुनता दिख रहा।
अब मौन क्यों वो गौण दिखता,क्या भाग्य लेखा लिख रहा।।

©Bharat Bhushan pathak क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक।
हृदय उदासी में था डूबा,देह भी दिखती ना गतिक।।
सब छीन सपने जो गये थे,वो बैठ चुनता दिख रहा।
अब मौन क्यों वो गौण दिखता,क्या भाग्य लेखा लिख रहा।।

क्यों वेदना की एक गाथा,लिख रहा था आज पथिक। हृदय उदासी में था डूबा,देह भी दिखती ना गतिक।। सब छीन सपने जो गये थे,वो बैठ चुनता दिख रहा। अब मौन क्यों वो गौण दिखता,क्या भाग्य लेखा लिख रहा।। #Poetry