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....यादें बचपन की .... बहना से लड़े, खूब झगड़े , फि

....यादें बचपन की ....

बहना से लड़े, खूब झगड़े ,
फिर संग विद्यालय जाते थे ।
यदि  पड़े मार विद्यालय में,
तब बहना को खूब बुलाते थे ।
थक जाते थे जब गुरु खूब ,
वह नालायक कहलाते थे ।
तब हम विद्यालय में छोड़ बैग ,
बस तुरत कहीं भाग जाते थे ।
बस अगली बार न मार पड़े 
यह बार बार दोहराते थे ।
पर याद हमें अब तक है ,
हम फिर भी विद्यालय जाते थे ।
जब कभी छोड़ कर बैग ,
भाग जल्दी से घर आ जाते थे ।
मम्मी को कुछ शक जाता था ,
घर भी बेशक पिट जाते थे।
पर याद मुझे अब तक है जब ,
मैं घर के बाहर भग जाता था ,
औऱ राह देख बहना की मैं ,
बहना के संग ही आता था ।।
M₹_@gnihotri कविता
....यादें बचपन की ....

बहना से लड़े, खूब झगड़े ,
फिर संग विद्यालय जाते थे ।
यदि  पड़े मार विद्यालय में,
तब बहना को खूब बुलाते थे ।
थक जाते थे जब गुरु खूब ,
वह नालायक कहलाते थे ।
तब हम विद्यालय में छोड़ बैग ,
बस तुरत कहीं भाग जाते थे ।
बस अगली बार न मार पड़े 
यह बार बार दोहराते थे ।
पर याद हमें अब तक है ,
हम फिर भी विद्यालय जाते थे ।
जब कभी छोड़ कर बैग ,
भाग जल्दी से घर आ जाते थे ।
मम्मी को कुछ शक जाता था ,
घर भी बेशक पिट जाते थे।
पर याद मुझे अब तक है जब ,
मैं घर के बाहर भग जाता था ,
औऱ राह देख बहना की मैं ,
बहना के संग ही आता था ।।
M₹_@gnihotri कविता