....यादें बचपन की .... बहना से लड़े, खूब झगड़े , फिर संग विद्यालय जाते थे । यदि पड़े मार विद्यालय में, तब बहना को खूब बुलाते थे । थक जाते थे जब गुरु खूब , वह नालायक कहलाते थे । तब हम विद्यालय में छोड़ बैग , बस तुरत कहीं भाग जाते थे । बस अगली बार न मार पड़े यह बार बार दोहराते थे । पर याद हमें अब तक है , हम फिर भी विद्यालय जाते थे । जब कभी छोड़ कर बैग , भाग जल्दी से घर आ जाते थे । मम्मी को कुछ शक जाता था , घर भी बेशक पिट जाते थे। पर याद मुझे अब तक है जब , मैं घर के बाहर भग जाता था , औऱ राह देख बहना की मैं , बहना के संग ही आता था ।। M₹_@gnihotri कविता