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दीवारों के सहारे बैठें भी तो क्या बैठें, दिल का हर

दीवारों के सहारे बैठें भी तो क्या बैठें,
दिल का हर इक आशियाँ जब वो ढहा गया..
जो उनकी हर इल्तेजा को हुक्म समझा ,
वो असल , हमारी परवरिश की खोट है।
दीवारों के सहारे बैठें भी तो क्या बैठें,
दिल का हर इक आशियाँ जब वो ढहा गया..
जो उनकी हर इल्तेजा को हुक्म समझा ,
वो असल , हमारी परवरिश की खोट है।