मैं कहानियों का नहीं हकीकत का किरदार हूं ऐसे ही नहीं उतर जाऊंगा काग़ज़ पर मैं गुल नही गुलिंस्तो का खरीदार हूं मेरे हर लम्हे का अलग मंज़र हैं तुम कैसे जानोगे मेरी जिंदगानी अनमोल हैं मैं कोई तेरी बोलियों का बाजार नहीं हूं.. ✍️✍️✍️ ©Drx. Mahesh Ruhil #paper