खुशबू बिखेर देती यदि फूल दिया होता क्षमा मै मांग लेती यदि भूल किया होता बिन भूल के सजा मुझे इस तरह मिली राहों में रह गई हूं मंजिल बिछड़ गई कहते चुभन हमे यदि शूल दिया होता क्षमा मै मांग लेती यदि भूल किया होता मांझी भँवर में छोड़ कर मुझसे बिछड़ गये है है पूछा तो एक सवाल था इतना उखड गये है इलज़ाम लेती हस कर यदि शूल दिया होता क्षमा मै मांग लेती यदि भूल किया होता डूबूगी मै भँवर में ये जानता खुदा है राहों में रह गई क्यो आज भी सुधा हैं बंध जाती ए सुधा भी यदि रूल दिया होता क्षमा मै मांग लेती यदि भूल किया होता खता नहीं किया