झूले की एक डोर मां है तो एक पिता, तो पेड़ समाज है.. डालियां समाज का अभिन्न अंग, तो विविध सभ्यताओं का मेल है.. तना पेड़ का आधार, तो समाज कि धरोवर है.. पत्तियां मानो तो आप और मैं हूं, अब गिरने न देना इस बिटिया को, झूलने दो झूला इसे अपनी मर्जी से.. बेटियां तो हमारी शान हैं..! ©Sandeep Kothar झूले की एक डोर मां है तो एक पिता, तो पेड़ समाज है.. डालियां समाज का अभिन्न अंग, तो विविध सभ्यताओं का मेल है.. तना पेड़ का आधार, तो समाज कि धरोवर है..