कुछ हालात जो हमें सवरने नहीं देता है। जिम्मेदारी उनसे मोहब्बत करने नहीं देता है। दिल के जख्म जब भी भरने को आता है। लफ्जों का तीर जख्म भरने नहीं देता है। तहजीब मुझे खामोश रहने को कहता है। तालीम मुझे किसी से लड़ने नहीं देता है। न जाने अंधेरे से क्या दिल लगी है लोगों को। रोशनी की चाहत है चिराग जलने नहीं देता है। खुशबू के दीवाने तो यहां सभी हैँ जिया फूल को मसलते हैं मगर खिलने नहीं देता है ©Zia Hasan #delicate कुछ हालात जो हमें सवरने नहीं देता है। जिम्मेदारी उनसे मोहब्बत करने नहीं देता है। दिल के जख्म जब भी भरने को आता है। लफ्जों का तीर जख्म भरने नहीं देता है। तहजीब मुझे खामोश रहने को कहता है। तालीम मुझे किसी से लड़ने नहीं देता है।