अपने नरम डैने फड़फड़ाकर, चोंच हक़ीक़त की बाली दबाकर! चहचहाकर निकले हैं आज पर, घोंसले में भावी कल को सेकेंगे! सपने उड़ चले हौसलों के अंबर.... अब सच होकर ही लौटेंगे!! सपने उड़ चले हैं कोशिश के गांव, सच होकर ही अब लौटेंगे!! #smriti_mukht_iiha