भीख देकर न भिखारी को खिलाया जाए। फ़ल्सफ़ा ये है उसे काम बताया जाए। बिन ग़रज़ के ही जो करते हैं भला दुनिया का उनके सम्मान में ही सर को झुकाया जाए। धर्म के नाम पे हम हिन्दू मुसलमां न बनें है ये बेहतर हमें इंसान बनाया जाए। धूप में उड़ते परिंदों को भी कुछ राहत हो अपने आंगन में अगर पेड़ लगाया जाए। लोग कहते हैं नशा इश्क़ का सबसे बढ़कर गर ये सच है तो इसे सबको कराया जाए। हाथ से जाम न दे मुझको नशा होता नहीं इश्क़ का जाम निगाहों से पिलाया जाए। काग़ज़ी इल्म से होती न पढ़ाई पूरी पाठ उल्फ़त का भी तो साथ पढ़ाया जाए। खुदकुशी करना मुसीबत का समाधान नहीं दर्द कम करना है गर दुख को बँटाया जाए। जिन रिवाजों ने दुखाया है सदा दिल 'मीरा' उन रिवाजों को ज़माने से हटाया जाए। *** #ग़ज़ल 2122 1122 1122 22/112 (1122 1122 1122 22/112) 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भीख देकर न भिखारी को खिलाया जाए। फ़ल्सफ़ा ये है उसे काम बताया जाए। बिन ग़रज़ के ही जो करते हैं भला दुनिया का