[READ IN CAPTION] बधाई हो सर! महफ़िल और मुशायरो मे , औरत का मजाक बनाते हो हर चुटकुले में हँसी का पात्र बनाकर तालियाँ बजवाते हो ! दायरा समाज का औरत को सिखाते हो ! ख़ुद स्वच्छंद क्यों ? दायरा कभी अपना भी बनाते हो ! कोई समाज का तो कोई धर्म के ठेकेदार बनते हो ! समाज और धर्म के ठेकेदारो,