कितनी आंखों में देखा कोई तुम सा नही मिला किसकी आंखो में देखें कोई हम सा नही मिला दर्द वफा का तुम क्या जानो पल पल भींचा जाता है प्रेम का पौधा जो हो लगाना आंसू से सींचा जाता है शायद अब तक तुमको कोई तुम सा नही मिला किसकी आंखो में देखें कोई हम सा नही मिला पल पल कहां कहां हम खुद को खींचे खींचे फिरते हैं जानकर भी कर न सके कुछ आंखें मीचे मीचे फिरते है पागल अभी हमको भी कोई हम सा नही मिला किसकी आंखो में देखें कोई तुम सा नही मिला तेरी बातों की आवाजें खामोशी का शोर बनी तेरी तस्वीरों के आंसू में मेरी आंखों की कोर बनी गम हमको और ना कोई इस गम सा नही मिला कितनी आंखों में देखा कोई तुम सा नही मिला जा कर में भी दूर कहीं इस दिन संग ही ढल जाऊं तेरी आस से लिपटे लिपटे बैठे बैठे जल जाऊं सारा शहर है ढूंढा मैंने कोई गुम सा नही मिला किसकी आंखो में देखें कोई तुम सा नही मिला ©Sonu sharma #lamppost