कुछ बूंदें बारिश की, कुछ बूंदें ऑंसू के, कुछ इत्र के छींटे, कुछ ख्वाब मीठे-मीठे, थोड़ा दर्द दिल का.... थोड़ा मर्ज मोह का.... कभी समा बिछोह का, कभी अतिरेक नेह बरसता! रिश्ता दोनों का, पल्लू मेरा धरे यहीं रुकने को वो कहे..., मुश्किलें, सवाल हजारों हुए...! उसकी बात लकीर हुई... टालकर ना जा सके! वहीं रुक गये! Shree 💓 #lovepoemsarebest #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires _____ कुछ बूंदें बारिश की, कुछ बूंदें ऑंसू के, कुछ इत्र के छींटे,